खिंचा खिंचा सा रहता है आजकल ये दिल
जुदा जुदा सा रहता है आजकल ये दिल
न ख़्वाहिशें न आरज़ू न जुस्तजू कोई
डरा डरा सा रहता है आजकल ये दिल
सीने में सुलगते हैं अरमान रात भर
धुआं धुआं सा रहता है आजकल ये दिल
ता उम्र आँधियों से है जूझा चराग़-ऐ-जीस्त
थका थका सा रहता है आजकल ये दिल
शफ़क़ पे चढ़ के गिरता है शोला रोज़ शाम
बुझा बुझा सा रहता है आजकल ये दिल
--
अनिरुद्ध
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.
No comments:
Post a Comment