कौन हूँ मैं क्या हूँ नहीं जानता हूँ मैं
तेरी नज़र से ख़ुद को अब पहचानता हूँ मैं
हाफ़िज़ हूँ मैं ख़ुद अपने ही इखलाक का यारों
ग़ैरों पे कभी ऊँगली नहीं तानता हूँ मैं
है बुतकशी कहीं तो हैं सजदे कहीं 'तशना'
तेरे दीद को ही दीद-ए-ख़ुदा मानता हूँ मैं
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अनिरुद्ध
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