Friday, November 16, 2012

हसरत


मेरी हँसी की आँखों में झांककर मत देखो,
तमाम मुस्कुराहटों की परतों के नीचे दबा कोई ग़म,
कहीं रोने ना लगे,
मेरी धडकनों की आवाज़ को लय में ना बांधो,
साँसों के शोर में खोयी हुई कोई सदा,
सुनाई ना दे जाये,
मेरे कांपते वजूद को आपनी मासूमियत का सहारा ना दो,
बिखरने की जद्दोजेहेद में फंसा ये मन,
जीने की आरज़ू ना करने लगे,
अगर कुछ करना ही चाहते हो,
तो बस इतना कर दो,
की आँखों पर उम्मीद का परदा चढ़ाये,
मेरी हसरतों को,
सच दिखा दो,
और किस्मत की बेजान दीवारों में क़ैद,
मेरी चाहतों को,
आज़ादी दे दो.
--
अनिरुद्ध
Creative Commons License
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.

No comments:

Post a Comment