शब्दों का मायाजाल नहीं,
भाषा हो मौन की,
और बातें तुम्हारे मेरे प्यार की,
जज़्बात-
जो बेज़ारी की कब्र में दफ़न हैं कहीं,
उन्हें मिले जहाँ एक नयी ज़िन्दगी,
ऐसा एक संसार बनाना है मुझे,
तुम्हारी ख़ातिर,
ग़मों की धूप नहीं,
छाया हो मुहब्बत की,
और ठंडक तुम्हारे आँचल की,
मासूमियत-
जो बनावट के पैरों तले दब गयी हैं कहीं,
उसे मिले जहाँ एक नयी रवानी,
ऐसा एक दिल बनाना है मुझे,
तुम्हारी ख़ातिर.
--
अनिरुद्ध
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beautiful thought..
ReplyDeleteThanks for the appreciation Kanchan :)
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