Monday, January 14, 2013

तुम


धडकनों में गूंजी ज़िन्दगी की सदा हो जैसे,
माँ ने जो मांगी खुशियों की दुआ हो जैसे,

अधखुली पलकों पे सुरमई ख्वाबों सी,
रूह से लिपटी रब की अदा हो जैसे,

कच्चे वादों की पक्की सी डोर से,
बंधती तमन्नाओं की इन्तज़ा हो जैसे,

सजदे में खुदा के दिल से जो निकली,
वो हसरत हो आरज़ू हो वफ़ा हो जैसे,

'तशना' से बेहतर तुम्हें किसने है जाना,
क़ायनात की सलामती की इक्तिज़ा हो जैसे.
--
अनिरुद्ध
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2 comments:

  1. wow.. awesome! it's great to read such lovely thoughts.. although it's about some one else ;)
    and your words adorn it even more..

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  2. Ha Ha Ha. Well they are just random thoughts that I put on paper and nothing else.
    I am glad that you enjoyed it.

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