लफ्ज़ जब भी ख़ामोश होते हैं,
आप दिल के करीब होते हैं,
ज़िन्दगी बोझ लगती है इनके बिन,
रिश्ते क्यूँ इतने अज़ीज़ होते हैं,
न पूछो दर्द क्यूँ पाले मैंने,
किसी मर्ज़ की ये भी दवा होते हैं,
घर जलाने को गैर की नहीं दरकार,
लोग खुद अपने रक़ीब होते हैं,
नाम लिख कर मिटा देने से क्या होता है,
वजूद तो फिर भी वजूद होते हैं,
यूँ न दिखलाओ दुनिया को दीवानापन तशना,
मुहब्बत के कुछ अपने उसूल होते हैं.
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अनिरुद्ध
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