सुबह की मासूम आँखों से देखे थे,
ख़्वाब कई कच्चे से,
हड़बड़ी में यूँ ही मोड़ के,
तकिये के नीचे रख दिए थे सारे,
अब शाम तक कई सलवटें आ गयी हैं उनमें,
तुम आज जल्दी घर आ जाओ,
और अपनी सांसों की गर्मी उधार दे दो,
की रात भर इस्त्री कर,
इन ख़्वाबो की सारी सलवटें दूर करनी हैं
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अनिरुद्ध
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wait is something no one likes..
ReplyDeletestill we gotta face it some day
Lovely expressions !!
Thanks for appreciation Jyoti.
DeleteYes nobody likes it still everybody has to wait for all good things in life :)
Wah! Kya baat hai! Bahut sundar...:)
ReplyDeleteThanks for appreciation Saru :)
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